रामनिवास बेनीवाल की रिपोर्ट
हिसार। केंद्रीय विश्वविद्यालय, हरियाणा महेन्द्रगढ़ की सम कुलपति प्रो. सुषमा यादव ने कहा है कि कहा है कि एनईपी हमें अनेक प्रकार से विभिन्न आयामों पर सोचने, परिवर्तन और चिंतन का अवसर देती है। यह शिक्षा नीति छिपी हुई प्रतिभाओं को बाहर निकालने के लिए एक मंच का काम करेगी तथा सीमाओं से पार जाकर देश में गुणवत्ता आधारित शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने में सहायक होगी।
प्रो. सुषमा यादव बुधवार को गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों के एनईपी कोर्डिनेटर्स को प्रशिक्षित करने के लिए आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजिज कार्यालय व मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र (एमएमटीटीसी) के सौजन्य से विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार में हुई इस कार्यशाला में प्रो. सुषमा यादव मुख्य अतिथि रही जबकि अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के सैंटर फॉन कुरीकुलुम डिजाइन एंड डवल्पमेंट (सीसीडीडी) के निदेशक प्रो. अजय के. रंजन, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. देवेन्द्र कुमार, एमएमटीटीसी की निदेशक प्रो. सुनीता रानी व डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. संजीव कुमार उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित कर विद्या और कला को समान सम्मान दिलाने का कार्य करेगी। आने वाले समय में महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों को और अधिक स्वायतता मिलेगी, जिससे संबंधित विद्यार्थियों, क्षेत्र और उद्योगों की जरूरतों के अनुसार रोजगारपरक कोर्स आरंभ किए जा सकेंगे।
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा कैंपस में गत वर्ष से ही एनईपी पूर्णतया लागू कर दी गई थी। इस सत्र से सम्बद्ध महाविद्यालयों में भी एनईपी को लागू कर दिया जाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा लगातार बैठकों तथा कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है ताकि दाखिले के दौरान विद्यार्थियों को किसी प्रकार का संशय और परेशानी ना हो। वेल्यू एडिड कोर्सिस को बढ़ावा दिया जा रहा है। एनईपी में विज्ञान का विद्यार्थी भी कला संकाय कर सकता है। विश्वविद्यालय ने हरियाणा नॉलेज कोरपोरेशन लिमिटेड पंचकूला के साथ एमओयू करके इस संबंध में 17 नए लघु अवधि सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किए हैं।महाविद्यालयों के शिक्षक भी इन कोर्सों को करके एनईपी के अनुसार स्थापित की जा रही शिक्षा व्यवस्था में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षकों तथा विद्यार्थियों को इस सम्बंध में हर प्रकार का मार्गदर्शन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रो. अजय के रंजन ने अपने संबोधन में कहा कि श्रेष्ठ शिक्षा व्यवस्था के सहारे ही किसी देश को एक विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है। वर्तमान विकसित राष्ट्रों की शिक्षा व्यवस्था के अध्ययन से यही सामने आया है कि किसी विकसित राष्ट्र की उन्नति का मुख्य आधार शिक्षा है। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि भारत में शिक्षा व्यवस्था की गौरवशाली प्राचीन परम्परा है। इसे फिर से स्थापित करना होगा। वैश्विक स्तरीय ज्ञान से ही भारत फिर से विश्वगुरु बन सकता है।
प्रो. सुनीता रानी ने अपने स्वागत संबोधन में कार्यशाला के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में प्रतिभागियों की हर शंका का समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रतिभागी निसंकोच अपनी शंकाओं और सुझावों को रख सकते हैं ताकि एनईपी का सफल क्रियान्वयन किया जा सके।
प्रो. संजीव कुमार ने बताया कि डीन ऑफ कॉलेजिज कार्यालय एवं एमएमटीटीसी द्वारा महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए आईसीटी पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, पेडोलॉजिकल इश्यूज व रिसर्च मैथड्स विषयों पर भी कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। प्रो. अजय के. रंजन, प्रो. देवेन्द्र कुमार तथा प्रो. संजीव कुमार ने कार्यशाला में सत्रों का संचालन किया। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए। साथ ही कहा गया कि वे कार्यशाला के बाद भी मौखिक या लिखित रूप से अपने सुझाव व समाधान विश्वविद्यालय को भेज सकते हैं। कार्यशाला में महाविद्यालयों के प्राचार्यों ने भी भाग लिया। प्रो. देवेन्द्र कुमार ने सभी का धन्यवाद किया।